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पत्थरों को फूल कहना पड़ेगा।
कमतरों को माकूल कहना पड़ेगा।
जहरीली हवाओं की रफ्तगी देख,
नाकारों को मकबूल कहना पड़ेगा।
छीन तोड़ दिए जाएंगे दस्तो कलम
औजारों को फ़िजूल कहना पड़ेगा।
दरकती जमीं का हिस्सा कहाँ जाएगा,
पुस्तैनी जमीन को नजूल कहना पड़ेगा।
सोचा न था होंगे साजिशों की महफ़िल
किसी नापसंद को कबूल कहना पड़ेगा।
उदय वीर सिंह।